देश में नागरिकता संशोधन कानून CAA को लेकर एक बार फिर से बहस छिड़ गई है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बयान के बाद केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने भी साफ कर दिया है पूरे देश में जल्द ही CAA को लागू कर दिया जाएगा। CAA (नागरिकता संशोधन कानून, 2019) को लेकर देश भर में कोहराम मचा हुआ है। पूरे देश में CAA को लेकर एक बार फिर से चर्चा तेज हो गई है। इससे पहले भी नागरिकता संशोधन कानून को लेकर कई बार विवाद देखने को मिल चुके हैं। वहीं, कुछ समय पहले केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा था कि CAA देश का कानून है और इसे हर हालत में लागू किया जाएगा।
क्या है नागरिकता संशोधन कानून?
CAA नागरिकता संशोधन कानून 2019, तीन पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश) के उन अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का रास्ता खोलता है, जिन्होंने लंबे समय से भारत में शरण ली हुई है। इस कानून में किसी भी भारतीय, चाहे वह किसी मजहब का हो, की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है। भारत के मुस्लिमों या किसी भी धर्म और समुदाय के लोगों की नागरिकता को इस कानून से कोई खतरा नहीं है।
CAA कब हुआ था पारित?
CAA को भारतीय संसद में 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था, जिसमें 125 वोट इसके पक्ष में पड़े थे और 105 वोट इसके खिलाफ थे। राष्ट्रपति द्वारा इस विधेयक को 12 दिसंबर को मंजूरी भी दे दी गई थी। मोदी सरकार और उसके समर्थक जहां इसे ऐतिहासिक कदम बता रहे हैं, वहीं विपक्ष, मुस्लिम संगठन द्वारा इसका काफी विरोध किया जा रहा हैं।
CAA को लेकर क्यों हो रहा विवाद?
नागरिक (संशोधन) कानून में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से विशिष्ट धार्मिक समुदायों (हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी) को अवैध अप्रवासियों के लिए भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। इस पर कुछ आलोचकों का कहना है कि ये प्रावधान भेदभावपूर्ण है, क्योंकि इसमें मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है। जिसके कारण ये विवादों में घिरा हुआ है।
CAA में अब तक मुस्लिमों को क्यों नहीं जोड़ा गया?
गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर संसद में बताया था कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश मुस्लिम देश हैं। वहां धर्म के नाम पर बहुसंख्यक मुस्लिमों का उत्पीड़न नहीं होता है, जबकि इन देशों में हिंदुओं समेत अन्य समुदाय के लोगों को धर्म के आधार पर प्रताड़ित किया जाता है। इसलिए इन देशों के मुस्लिमों को नागरिकता कानून में शामिल नहीं किया गया है। हांलाकि, इसके बाद भी वह नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिस पर सरकार विचार कर फैसला लेगी।
किसे मिल सकेगी नागरिकता?
CAA लागू होने के बाद नागरिकता देने का अधिकार पूरी तरह से केंद्र सरकार के पास होगा। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म से जुड़े शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दे दी जाएगी। बता दें कि जो लोग 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आकर बस गए थे, उन्हें ही नागरिकता मिलेगी। इस कानून के तहत उन लोगों को अवैध प्रवासी माना गया है, जो भारत में वैध यात्रा दस्तावेज (पासपोर्ट और वीजा) के बगैर घुस आए हैं या फिर वैध दस्तावेज के साथ तो भारत में आए हैं, लेकिन तय अवधि से ज्यादा समय तक यहां रुक गए हों।
अब तक क्यों लागू नहीं हो पाया CAA और UCC?
CAA और UCC के लागू होने को लेकर देश के कई राज्यों में बवाल मचा हुआ है। कई राज्यों में CAA और UCC के खिलाफ विरोध प्रदर्शन देखने को मिले जिसके कारण ये कानून लागू नहीं हो पाए। कई राज्यों में लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी अपने तर्क पेश किए। केंद्र सरकार ने कहा था कि जब तक देश में समान नागरिक संहिता लागू नहीं हो जाती है तब तक लैंगिक समानता लागू नहीं हो सकती है।
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर एक बार फिर से चर्चाएं तेज हो गई हैं। सरकार ने इसे लागू करने के संकेत दे दिए हैं जिसके बाद से ही UCC को लेकर लोगों के बीच चर्चा हो रही है।
बता दें कि UCC में देश में सभी धर्मों, समुदायों के लिए एक सामान, एक बराबर कानून बनाने की बात की गई है। आसान भाषा में समझें तो इस कानून का मतलब है कि देश में सभी धर्मों, समुदाओं के लिए कानून एक समान हो जाएगा। मजहब और धर्म के आधार पर मौजूदा अलग-अलग कानून निष्प्रभावी हो जाएंगे। बता दें कि UCC के लागू होने के बाद कई बदलाव आएंगे।
जैसे- विवाह, तलाक, गोद लेने और संपत्ति में सभी के लिए एक नियम होगा। परिवार के सदस्यों के आपसी संबंध और अधिकारों में समानता होगी। जाति, धर्म या परंपरा के आधार पर नियमों में कोई रियायत नहींल दी जाएगी। किसी भी धर्म विशेष के लिए अलग से कोई नियम नहीं होगा।