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जानिए कौन हैं ? भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी की पहली महिला अध्यक्ष :चंद्रिमा शाह

भारत की यदि बात की जाये तो भारत में लगभग 43% महिलाएं विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्र में स्नातक हैं, जो कि दुनिया में सबसे अधिक है। यह अमेरिका और कनाडा जैसे कुछ प्रथम विश्व देशों की तुलना में भी काफी अधिक प्रतिशत है। STEM से स्नातक करने वाली भारतीय महिलाओं का प्रतिशत अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों के मुकाबले अधिक है। बेशक, हम केवल एसटीईएम में नामांकन करने वाली महिलाओं और गैर-बाइनरी लोगों की संख्या को नहीं देख सकते हैं, खासकर इन क्षेत्रों में प्रतिधारण मुद्दों को देखते हुए।

मै बात करना चाहूंगी चंद्रिमा शाह की जिन्हें भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (Indian National Science Academy)की पहली महिला अध्यक्ष चुना गया . चंद्रिमा शाह साल 2020 से अपना कार्यभार संभल रही है .उन्होंने अजय कुमार सूद की जगह लिया था .
चंद्रिमा शाह को विज्ञान को जनसमूहों के मध्य प्रचलित करने की जिम्मेदारी दी गयी और उन्हें साथ ही विदेशी संस्थानों के साथ करार पर भी अधिक ध्यान दिया . इनकी सबसे ज्यादा प्राथमिकता लोगों के बीच विज्ञान को अधिक तीव्रता से बढ़ावा देना रहा .

चंद्रिमा शाह के बारे में:

• चंद्रिमा शाह का जन्म 14 अक्टूबर 1952 को हुआ था.
• वे साल 2020 से भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी की अध्यक्ष रही .
• वे पहली महिला हैं जिन्हें भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी का अध्यक्ष बनाया गया है.
• चंद्रिमा शाह राष्ट्रीय इम्यूनोलोजी संस्थान, दिल्ली में प्रोफेसर ऑफ़ एमिनेंस हैं.
• वे इससे पहले राष्ट्रीय इम्यूनोलोजी संस्थान, दिल्ली की निर्देशक थीं.
• उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की.
• उन्होंने साल 1980 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी.
• वे साल 2016 से साल 2018 के बीच भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी की उपाध्यक्ष रहीं.
भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के बारे में:
• भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी भारतीय वैज्ञानिकों की सर्वोच्च संस्था है. यह अकादमी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की सभी शाखाओं का प्रतिनिधित्व करती है.
• इस अकादमी का मुख्य उद्देश्य भारत में विज्ञान व उसके प्रयोग को बढ़ावा देना है.
• भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान जिसे अब भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी कहा जाता है. इस संस्था की स्थापना 07 जनवरी 1935 को कलकत्ता में हुई थी.
• इसका मुख्यालय साल 1946 तक एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल में था. इसका मुख्यालय साल 1951 में दिल्ली में स्थानांतरित कर दिया गया था.
• भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी की स्थापना भारत में विज्ञान की प्रगति और मानवता एवं राष्ट्र कल्याण हेतु वैज्ञानिक ज्ञान का प्रसार करने के उद्देश्य से की गई थी.

मानव शरीर को समझने की कोशिश करने वाले और यह अपने पर्यावरण से कैसे संबंधित है, वैज्ञानिकों ने पूरे इतिहास में महान चीजों की खोज की है। दुर्भाग्य से, सदियों की वैज्ञानिक जांच और कार्यप्रणाली में एक महत्वपूर्ण चूक के कारण अनगिनत चोटें और मौतें हुई हैं, और शरीर विज्ञान और चिकित्सा के पूरे क्षेत्रों में हाल तक केवल बहुत कम खोज की गई थी।

वह चूक? वैज्ञानिक जांच से महिलाओं का बहिष्कार, वैज्ञानिक और विषय दोनों के रूप में।विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्र में महिलाओं की अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण जानकारी

विज्ञान ज्योति योजना : विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डी.एस.टी) ने इसे एसटीईएम में इच्छुक छात्राओं के हाई स्कूलों की बराबर भागीदारी को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरू किया था। इसके अतिरिक्त, यह गांवों की छात्राओं को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में उनके करियर की योजना बनाने में सहायता करता है।

किरण योजना : इस योजना की शुरुआत 2014- 2015 में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा की गई,जिससे महिला वैज्ञानिकों के लिए शैक्षणिक और प्रशासनिक उन्नति संभव हुई।

गति योजना : “जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टीट्यूशंस -GATI ; एस.टी.ई.एम के क्षेत्र में लैंगिक समानता का मूल्यांकन करने के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करता है।

इन सबके अतिरिक्त हाल ही में भारत ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्र में अधिक से अधिक महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक भारत-इजराइल सम्मेलन भी आयोजित किया। इस सम्मेलन का प्राथमिक उद्देश्य एसटीईएम में महिलाओं की भागीदारी के मामले को देखना था।

 

लेखिका :तज़ीन नाज़

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