दर्शन रंगनाथन भारत की मशहूर रसायन वैज्ञानिक थीं। उनका जन्म 4 जून, 1941 को दिल्ली में हुआ। उनकी उच्च शिक्षा दिल्ली यूनिवर्सिटी से हुई। वे दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा कॉलेज में कई वर्षों तक रसायन विज्ञान विभाग की अध्यक्ष रहीं। इन्होंने अपने कार्य के दौरान यूरिया चक्र और प्रोटीन संरचना पर कई खोज की। जून, 2001 में ब्रेस्ट कैंसर से उनकी मृत्यु हो गई।
विज्ञान में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने वाली पहली महिला आसिमा चटर्जी का जन्म 23 सितंबर, 1917 को कलकत्ता में हुआ था। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय के स्कॉटिश चर्च कॉलेज से केमिस्ट्री में ग्रेजुएशन और बायोलॉजिकल केमिस्ट्री में डॉक्टरेट किया। उन्होंने मलेरिया की रोकथाम करने वाली दवाओं पर काफी शोध किया। उनका निधन 22 नवंबर, 2006 को हुआ।
कादम्बिनी गांगुली को भारत की दूसरी महिला फिजिशियन के तौर पर भी जाना जाता है। उनका जन्म 18 जुलाई, 1861 को बिहार के भागलपुर में हुआ था। 1892 में मेडिसिन की उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए वे इंग्लैंड गईं और वहां से वापस लौटने के बाद डफरिन अस्पताल में काम करना शुरू किया और कई खोज की । 3 अक्टूबर, 1923 को उनका निधन हो गया।
जानकी अम्माल को वनस्पति विज्ञान में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने वाली पहली महिला के तौर पर भी जाना जाता है। इनका जन्म 4 नवंबर, 1897 को केरल के कुन्नुर जिले में हुआ था। उन्होंने अमेरिका के मिशिगन विश्वविद्यालय से बॉटनी में एम.एससी. और पीएचडी. की डिग्री हासिल की। इनकी गन्नों की हाइब्रिड प्रजाति खोज और क्रॉस ब्रीडिंग पर शोध को पूरी दुनिया में मान्यता मिली। 7 फरवरी, 1984 को उनका निधन हो गया।
अन्ना मणि को मशहूर मौसम वैज्ञानिक के तौर पर जाना जाता है। इनका का जन्म 23 अगस्त, 1918 को केरल के त्रावणकोर में हुआ था। सरकार के स्कॉलरशिप पर वे मौसम विज्ञान में उच्च अध्ययन करने के लिए लंदन गई और वापस लौट कर भारतीय मौसम विज्ञान विभाग में काम करना शुरू किया। उन्होंने सौर विकिरण, ओजोन परत और वायु ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया। 16 अगस्त 2001 को उनका निधन हो गया।
रमन परिमाला का जन्म 21 नवंबर, 1948 को तमिलनाडु में हुआ। इन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया और बॉम्बे यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। वे कई वर्षो तक मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में प्रोफेसर रहीं। इन्होंने गणित के क्षेत्र में काम किया है। 1987 में उन्हें शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार और 2003 में उन्हें श्रीनिवास रामानुजन जन्म शताब्दी पुरस्कार दे कर सम्मानित किया गया।
कर्नाटक की पहली महिला इंजीनियर के तौर पर पहचान बनाने वाली राजेश्वरी चटर्जी का जन्म 24 जनवरी, 1922 को हुआ था। उन्होंने अमेरिका से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। वे बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान में प्रोफेसर रहीं। इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग की वे अध्यक्ष भी रहीं। उन्होंने माइक्रोवेव तकनीक के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया। उनका निधन 3 सितंबर, 2010 को हो गया।
इस देश की प्रमुख मानव वैज्ञानिकों में से एक इरावती कर्वे का भी नाम दर्ज है। एक साहित्यकार के रूप में भी उनका स्थान काफी ऊंचा माना जाता है। उनका जन्म म्यांमार (बर्मा) में हुआ था। वे पुणे के डेक्कन कॉलेज में समाजशास्त्र और मानव विज्ञान विभाग की अध्यक्ष रहीं। इन विषयों में उन्होंने महत्वपूर्ण शोध कार्य किया। उन्होंने अंग्रेजी के अलावा मराठी भाषा में भी लेखन किया है। साहित्यिक रचना ‘युगान्त’ के लिए उन्हें साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिला। उनका निधन 11 अगस्त 1970 को हुआ।
जन्म कलकत्ता में सन् 1913 में जन्मी बिभा चौधरी कलकत्ता विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान में एम.एस.सी. करने वाली पहली महिला थीं। उन्होंने होमी जहांगीर भाभा और विक्रम साराभाई के साथ भी काम किया। उन्होंने देवेन्द्र मोहन बोस के साथ मिल कर बोसोन कण की खोज की। उन्होंने मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। उनके कई शोध पत्र देश-विदेश के प्रमुख जर्नल्स में प्रकाशित हुए। उनका निधन 2 जून, 1991 को हुआ।
लेखिका: तजीन नाज़