Search
Close this search box.
Search
Close this search box.

निठारी कांड में इलाहाबाद HC ने फैसला पलटा:पंधेर बरी, लेकिन कोली पर एक केस में फांसी बरकरार; 19 लड़कियों की हत्या कर खा गए थे

नोएडा के निठारी कांड में सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंधेर की अपील इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंजूर कर ली। गाजियाबाद की CBI कोर्ट ने उन्हें पहले फांसी की सजा सुनाई थी। इस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। निठारी मामले में टोटल 14 केस में हाईकोर्ट ने दोषियों को बरी किया है। इसमें कोली को 12 और पंधेर को 2 मामलों में राहत मिली है।

हालांकि, कोली को सुप्रीम कोर्ट ने एक केस में फांसी की सजा सुनाई है। जो फिलहाल बरकरार रहेगी। ये फैसला जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस एसएचए रिजवी की बेंच ने सुनाया है। लंबी चली बहस के बाद अपीलों पर फैसला सितंबर महीने में सुरक्षित कर लिया गया था।

पंधेर सभी मुकदमों में बरी हुआ
मोनिंदर सिंह पंधेर की वकील मनीषा भंडारी ने कहा, “सेशन कोर्ट की फांसी की सजा के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल की थी। दोनों मुकदमों में पंधेर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरी किया है। अब पंधेर के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं है। कुल छह मुकदमों में सेशन ट्रायल थे। एक मुकदमा 2010 में हाईकोर्ट रद्द कर चुका है। तीन में सेशन कोर्ट ने बरी किया था। दो मुकदमों में फांसी हुई थी, जिनमें पंधेर आज बरी हुए हैं।”

CBI के वकील बोले- फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करेंगे
CBI के वकील संजय यादव ने कहा, “रिम्पा हल्दर मर्डर केस में सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा ट्रायल कोर्ट से सुनाई जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा है। इस मुकदमे में जो एविडेंस थे, वही एविडेंस बाकी मुकदमों में थे। हम हैरत में हैं कि एक जैसे साक्ष्य होने पर हाईकोर्ट ने बाकी मुकदमों में सुरेंद्र कोली को कैसे बरी कर दिया। हम इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करेंगे।”

रिम्पा हलदर नाम की लड़की की 2005 में हत्या हुई। इस जुर्म में निचली अदालत ने सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई थी

निठारी की D5 कोठी। इसी में सुरेंद्र कोली रहता था।

19 लड़कियों को मारकर खाने में दर्ज हुए थे 19 मुकदमे
साल-2005 और 2006 में हुए निठारी कांड में कुल 19 बच्चियों, युवतियों और महिलाओं की रेप के बाद हत्या हुई। इन्हें मारकर हत्यारों ने खा लिया। इसमें कुल 19 मुकदमे दर्ज हुए थे। इसमें तीन मुकदमों में पुलिस ने साक्ष्य के अभाव में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी। 16 मुकदमों में CBI कोर्ट गाजियाबाद का फैसला आ चुका है। 13 मुकदमों में सुरेंद्र कोली को सजा-ए-मौत सुनाई और तीन में बरी किया गया।

वहीं मोनिंदर पंधेर को दो मुकदमों में फांसी, एक मुकदमे में सात साल की सजा सुनाई गई और चार मुकदमों में बरी किया गया था। फांसी की सजा के खिलाफ दोनों दोषियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर की थी।

पंधेर की कोठी पर फेंके पत्थर
निठारी कांड के फैसले से दुखी परिजन रामकिशन ने पंधेर की कोठी D-5 पर पत्थर फेंके। रामकिशन ने अपने साढ़े 3 के बेटे को खोया था। आज कोर्ट के निर्णय के बाद वह रो पड़े। बेटे को खोने दर्द बयां करते हुए उन्होंने फैसले को गलत ठहराया।

नाई थी। हाईकोर्ट इलाहाबाद ने भी इस फैसले को बरकरार रखा था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी 15 फरवरी 2011 को इस फैसले पर अपनी मुहर लगाई थी।

कोठी के बराबर में ये नाला था, जहां करीब 19 लड़कियों के कंकाल मिले थे।

रेप के बाद कर देते थे हत्या, नाले से मिले थे 19 से ज्यादा कंकाल
25 साल की आनंदा देवी भी इसमें एक थी। वो मोनिंदर पंधेर के घर में घरेलू सहायिका बनकर आई थी और 31 अक्टूबर 2006 को लापता हो गई। इससे पहले ऊधमसिंह नगर (उत्तराखंड) की दीपिका उर्फ पायल नौकरी की तलाश में 7 मई 2006 को मोनिंदर सिंह पंढेर के पास गई थी, वो भी वापस नहीं लौटी। 24 अगस्त 2006 को नोएडा पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज कर जांच शुरू की तो दीपिका का मोबाइल सुरेंद्र कोली से मिला।

ये पहला केस था, जब किसी मामले में मोनिंदर पंधेर और सुरेंद्र कोली फंसे थे। पुलिस ने उनसे सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने दीपिका उर्फ पायल की रेप के बाद हत्या कर लाश कोठी के बराबर में नाले में फेंकने की बात कुबूली। 29 और 30 दिसंबर 2006 को नोएडा पुलिस ने नाले से बड़ी संख्या में मानव कंकाल बरामद किए, जो सिर्फ लड़कियों के थे।

खुलासा हुआ कि मोनिंदर पंधेर और सुरेंदर कोली यहां लड़कियों को किसी बहाने से बुलाते थे और रेप के बाद हत्या करके उनकी लाश इस नाले में फेंक देते थे। नोएडा पुलिस ने मोनिंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली के खिलाफ रेप और हत्या के कुल 19 मामले दर्ज किए। इसमें से 16 मामलों में कोर्ट के फैसले आ चुके हैं।

Leave a Comment

You May Like This